लेखनी प्रतियोगिता -22-Aug-2023 दिल शीशे सा होता प्यारे
दिल शीशे सा होता प्यारे, छलकती उसमें सत्यता।
देखो रोज तुम ये आइना, मिले इसमें सभ्यता।।
झूठ फरेब की धूल हटाना, करना नित सफाई।
रखना इसको पाक हमेशा, खुशियाॅं लेंगी अंगड़ाई।।
धवल किरण सा होता शीशा, चमक अपार होती।
सही रहा पर जब हम चलते, नेकी के पिरोते मोती।।
दिल शीशा तो नदियों जैसा, उज्जवल सी बहती रेला।
देखू जब उसमें परछाई, अच्छाइयों का होता मेला।।
दिल शीशे में बसते जब प्रभु, मिटती सारी बाधा।
आया कल्मष दूर करते, दुख में हमको साधा।।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
Shashank मणि Yadava 'सनम'
23-Aug-2023 07:11 AM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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Reena yadav
23-Aug-2023 06:44 AM
👍👍
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